छत्तीसगढ़ विधानसभा मानसून सत्र:हसदेव अरण्य में पेड़ कटाई का मुद्दा गरमाया~क्या कहा भूपेश, चरणदास,उमेश लालजीत, और विद्यावती ने,देखिए अंदर की खबर!

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कांग्रेस ने स्थगन पर चर्चा की मांग उठाई

रायगढ़।छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन शून्यकाल के दौरान हसदेव अरण्य और तमनार क्षेत्र में कोयला खनन के नाम पर हो रही पेड़ों की कटाई का मुद्दा गरमा गया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित कांग्रेस के कई विधायकों ने इस विषय पर जोरदार विरोध जताते हुए स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग की।

डॉ.महंत ने कहा कि हसदेव अरण्य जैसे संवेदनशील और जैव विविधता से भरपूर क्षेत्र में कोयला खनन के नाम पर बेतरतीब जंगल कटाई की जा रही है। ग्राम सभा की अनुमति नहीं ली गई, फिर भी खनन कार्य शुरू कर दिए गए हैं। कांग्रेस विधायक दल इसका कड़ा विरोध करता है। विधानसभा में इस पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि तमनार क्षेत्र में न केवल जंगल उजाड़े जा रहे हैं, बल्कि खेती योग्य भूमि भी प्रभावित हो रही है। गारे-पालमा परियोजना को निरस्त किया गया है, फिर भी उसी तर्ज पर अन्य क्षेत्रों में खनन का दबाव बढ़ रहा है।

विधायक उमेश पटेल ने आरोप लगाया कि तमनार में खनन कार्य फर्जी दस्तावेजों और बिना विधिवत प्रक्रिया के चल रहा है। उन्होंने इसे प्रशासनिक मनमानी बताया। विधायक विद्यावती सिदार ने कहा कि भाजपा सरकार एक ओर “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान चलाती है, दूसरी ओर उनके क्षेत्र में हजारों पेड़ों की कटाई जारी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विरोध करने पर पुलिस ने उन्हें बर्बरतापूर्वक हिरासत में लिया।

लालजीत सिंह राठिया ने विधानसभा में कहा कि उनके क्षेत्र में फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव बनाकर जंगल काटे जा रहे हैं। कांग्रेस शासन में हमने जंगल संरक्षण का संकल्प लिया था, लेकिन आज स्थिति बिल्कुल विपरीत है।

द्वारिका यादव ने कहा कि तमनार ब्लॉक में एक उद्योगपति को फायदा पहुँचाने के लिए सुनियोजित रूप से जंगलों को समाप्त किया जा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जहां आम जनता की सुरक्षा के लिए पुलिस नहीं पहुंचती, वहां जंगल कटाई के लिए पुलिस बल तैनात है।
अन्य कांग्रेस विधायकों विक्रम उसेंडी, रामकुमार यादव, अनिला भेंड़िया, संगीता सिन्हा और देवेंद्र यादव ने भी एक स्वर में सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जंगलों की कटाई के साथ-साथ आदिवासियों को भी उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। सर्व आदिवासी समाज में इसको लेकर भारी आक्रोश है और जल-जंगल-जमीन की लड़ाई अब और तेज होगी।
विपक्ष के तेवर उस समय और तीखे हो गए जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा, तमनार में पेसा कानून, वन अधिकार अधिनियम और विधानसभा में पारित संकल्पों का खुला उल्लंघन हो रहा है। प्रशासन पूरी तरह से एक उद्योगपति के पक्ष में खड़ा है।
भूपेश बघेल ने सरकार के अभियान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि, आज हालत यह है कि एक पेड़ माँ के नाम पर और पूरा जंगल बाप के नाम पर साफ किया जा रहा है। तमनार में सरकार जैसी कोई चीज़ दिख ही नहीं रही। उन्होंने मांग की कि यह अत्यंत गंभीर विषय है, और विधानसभा में चल रहे सभी कार्यों को रोककर इस मुद्दे पर प्राथमिकता के साथ चर्चा होनी चाहिए।