भाजपा और कांग्रेस के छूट भैइये नेता फ्लाई ऐश के खेल को परदे के पीछे अपने लोगों को आगे करके खेला कर रहे है”और हर एक गाड़ी में नंबर प्लेट दो अलग-अलग पढ़िए अन्दर की खबर….


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जीपीएस सिस्टम बंद होने के बाद एनटीपीसी में शुरू हुआ फ्लाईएश का खेल
एनएच के बजाय कहीं और कर रहे डंप,जीपीएस को निकालकर जा रही हैं गाड़ियां, प्रति टन कमीशन खाने वाले लोग बदले
कई उद्योगपति भाजपा के नेताओं को गाड़ी फाइनेंस करवा कर फ्लाई एश में लगा रहे हैं…”

रायगढ़।एनटीपीसी का फ्लाई एश अब रेत,कोयला कबाड़ से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। फ्लाई एश”अब लोकल और बाहर के ट्रांसपोर्टरों का पूरा फोकस एनटीपीसी के इस काम निगाहें गड़ गई है..!

श्रीनिवास,जेपी, रेफेक्स”आसिफ़”सोनू”विकास”एवं अन्य कंपनियों के लोगों द्वारा“एक बार फिर से परिवहन में कमीशन का खेल शुरू कर दिया है।केवल अधिकारियों के चेहरे बदले हैं, रेट वही है, तरीका भी वही है। एनटीपीसी लारा पावर प्लांट में अभी 800-800 मेगावाट की दो यूनिट चल रही हैं। दो यूनिट से निकल रहे फ्लाई एश को यूटीलाइज करने के लिए कंपनी ने एनएचएआई से एग्रीमेंट किया है। पहले परिवहन का ठेका छह कंपनियों को दिया गया था। लोकल ट्रांसपोर्टरों के गठजोड़ ने इस काम को अलग मुकाम पर पहुंचाया है। बिना जीपीएस के एश का परिवहन नहीं हो सकता लेकिन यहां फिर से वही खेल शुरू हो चुका है।

भाड़ा पाटन का और फ्लाईएश खाली हो रहा है~रायगढ़ के आसपास….
एनटीपीसी प्लांट से फ्लाई एश निकली वाली गाड़ी पाटन पहुंचने के बजाय, रायगढ़ के आसपास रास्ते में कहीं डंप कर वापस आ रही है।उदाहरण के लिए सीजी 13 नंबर की कोई गाड़ी 1234 एश डाइक से एक दिन लोड होकर दुर्ग के लिए निकली। अब यह गाड़ी डिलीवरी प्वाइंट पर पहुंचकर, अनलोड होने के बाद रायगढ़ वापस आती है तो एक दिन गुजर जाता है। अब यह गाड़ी दूसरे दिन ही वापस लोड होने पहुंचेगी, लेकिन ट्रक में लोड फ्लाई एश को पास में ही कहीं खाली करके उसी दिन लोडिंग प्वाइंट पर पहुंचा दिया जाता है।
हर एक गाड़ियों में नंबर प्लेट दो अलग-अलग
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक बताया गया कि हर एक गाड़ी का नंबर दो अलग अलग रहता है,और उसे बदल दिया जाता है। कुछ महीने तक एनटीपीसी ने इस पर नियंत्रण किया था लेकिन अब दोबारा से काम शुरू हो चुका है।केवल चेहरे बदल गए हैं।आज भी लोकल और बाहर के ट्रांसपोर्टरों के अलावा इस कारोबार को चलाने वाले और कमीशन लेने वाले हाथ बदल गए हैं!
ठेका पाने वाली कंपनियों पर कंट्रोल
एनटीपीसी से फ्लाई एश परिवहन का ठेका भले ही बाहर की कंपनियों को मिल रहा है, लेकिन इसमें लोकल गाडिय़ां ज्यादा लगाई जा रही हैं। लोकल ट्रांसपोर्टरों ने सिंडीकेट बनाकर ठेका कंपनियों से अपने हिसाब से काम करवा रहे हैं। छपोरा एश डाइक से प्रतिदिन 70-100 गाडिय़ां निकलती हैं। बीच-बीच में 10-20 गाडिय़ों से जीपीएस निकालकर रख लेते हैं। एश लोकल में ही खपाकर जीपीएस को अगले दिन कार में ले जाकर दुर्ग में रिसीविंग करवा ली जाती है। पर्यावरण विभाग कार्रवाई करता है तो एनटीपीसी का नाम खराब होता है। पेनाल्टी एनटीपीसी के नाम पर होती है जो ट्रांसपोर्ट कंपनियां भरती हैं।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक कई उद्योगपतियों ने अपने चेहते युवा नेताओं को एनटीपीसी के फ्लाईएश में गाड़ी लगाने के लिए बैंक से अपने नाम से फाइनेंस भी करवा रहे हैं…!