छत्तीसगढ़ के इस जिले में जमीन के अंदर बिलकुल पेट्रोल पंप की तरह बायोडीजल कियॉ जा रहा था स्टोर…बायोडीजल के दो बड़े खिलाड़ियों ने अपनाया था अनोखा तरीका..बड़े टैंकरों से बायोडीजल मंगवाकर पहले अवैध भूमिगत टँकियों में स्टोर करना फिर छोटे टैंकरों में जारी है सप्लाई कारोबार, खाद्य विभाग के अधिकारी बनाते है अनेकों बहाने, राज्य और केंद्र सरकार को लगा रहे हैं चुना ,रोड पर आने वाले हैं…पेट्रोल पंप के मालिक…पढ़ें न्यूज़ मिर्ची-24



छत्तीसगढ़ के इस जिले में जमीन के अंदर बिलकुल पेट्रोल पंप की तरह बायोडीजल कियॉ जा रहा था स्टोर…बायोडीजल के दो बड़े खिलाड़ियों ने अपनाया था अनोखा तरीका..बड़े टैंकरों से बायोडीजल मंगवाकर पहले अवैध भूमिगत टँकियों में स्टोर करना फिर छोटे टैंकरों में जारी है सप्लाई कारोबार, खाद्य विभाग के अधिकारी बनाते है अनेकों बहाने, राज्य और केंद्र सरकार को लगा रहे हैं चुना ,रोड पर आने वाले हैं…पेट्रोल पंप के मालिक…
सारंगढ़ से संवाददाता…
सारंगढ़ क्षेत्र के ग्राम पंचायत गुडे़ली और टिमरलगा में इन दिनों बायोडीजल की बाढ़ सी आ गई है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक यहां क्रेशर संचालित करने वाले अब क्रेशरों में पेट्रोल पंप जैसे बड़े-बड़े टैंकरों से बायोडीजल मंगवाकर पहले अवैध भूमिगत टँकियों में स्टोर करके फिर छोटे टैंकरों में मोटर पंप की मशीन के द्वारा डालकर सप्लाई का कारोबार बड़े जोरों से चल रहा है..ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी खाद्य विभाग को नहीं है….पर आखिर किसके दबाव में कार्रवाई नहीं कर रहा है! बताया जा रहा है कि यहां के क्रेशर वाले बड़े-बड़े राजनीतिक पहुंच के दम पर क्रेशर संचालित कर रहे हैं और साथ ही साथ अपने ट्रेलर और जेसीबी मशीन के लिए बायोडीजल का इस्तेमाल कर रहे हैं… इस काम में जहां लग रहा है…शासन को चूना… सारंगढ़ क्षेत्र में बायोडीजल के बड़े-बड़े टैंकर मंगवाकर रखे हुए हैं।जिससे राज्य सरकार और केंद्र सरकार को पेट्रोल पंप का जो टैक्स मिलती है वह नहीं मिलेगी,क्योंकि यह बायोडीजल डीजल से 20₹ से 25₹ कम लीटर में मिल रहा है।इसीलिए क्रेशर वाले बायो डीजल का टैंकर मॉडिफाइड करवा कर क्रेशर में रखे हुए हैं और अधिकारी हैं कि मौन धारण किए बैठे हैं..!!गुरु और कृष्णा के यहां है बायोडीजल का जखीरा
वहीं गुडे़ली में स्थित दो सबसे बड़े क्रेशर गुरु और कृष्णा के यहां बायोडीजल की भरमार रहती है , लेकिन मजाल है कि खाद्य अधिकारी यहाँ कुछ कार्यवाही कर दें या फिर स्थानीय प्रशासन इस पर कुछ कार्यवाही कर दे।यह तो राजनीतिक पहुंच के लोग हैं इसीलिए कार्यवाही नहीं हो पा रही है।शासन को चूना लगाने में दोनों माहिर हैं…और धड़क्के से बायोडीजल की सेल्लिंग हर एक छोटे-छोटे क्रेशरों में कर रहे हैं । इन दोनों क्रेशर में गुजरात से बडे़-बडे़ टैंकर मंगवाकर जमीन के अंदर टंकियों में स्टोर करके छोटी फोर व्हीलर गाड़ियों को मॉडिफाई करके बायोडीजल को क्रेशर से हर एक अलग-अलग जगहों में बायोडीजल पहुंचाया जा रहा है ,लेकिन शासन प्रशासन बेखबर है।आखिर किसके श्रेय पर यह काम कर रहे हैं , और केंद्र एवं राज्य सरकार को चूना लगा रहे है। क्या कहते हैं खाद्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी
जब हमने इस संबंध में खाद्य अधिकारी राठिया जी से दूरभाष के माध्यम से संपर्क साधा तो उन्होंने कहा कि अभी तो हम चुनाव में बिजी हैं,क्योंकि साहब ने हमें चुनाव ड्यूटी पर लगा दिया है।
जब चुनाव ड्यूटी खत्म हो जाएगी तब हम जांच करके देखेंगे । ऐसा लग रहा है कि यह अधिकारी तो सभी दिन चुनाव ड्यूटी में ही रहते हैं।यहां बायोडीजल का बड़े-बड़े टैंकर खाली हो कर चले जा रहा है , फिर भी खाद्य अधिकारी कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे हैं… या कोई दूसरा दबाव तो नहीं , क्योंकि चुनाव तो दो दिन पहले ही हो चुका है लेकिन यहां अधिकारी हैं जो अपना पल्ला झाड़ दे रहे हैं…!!