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मिट्टी से जुड़े रहे शख्स को समस्याएं समझानी नहीं होतीं. वे समस्याओं को जिया हुआ होता है. इसलिए उसको किसी समस्या का समाधान निकालने में वक्त नहीं लगता…गाजीपुर का बालक,बना छत्तीसगढ़ का…IPS…पढ़ें श्री सिंह की जन्म कथा…

कुछ एक की कहानियां कई पीढ़ियों को इंस्पायर करती हैं. वे अपने इलाके की दंतकथाओं में शुमार हो जाते हैं. वे जीते जी मिथक बन जाते हैं. संतोष सिंह एक ऐसे ही नौजवान हैं. ठेठ देसी परिवेश से निकला ये नौजवान बहुत कम उम्र में सफलता का वो परचम लहरा रहा है जहां पहुंचना ज्यादातर युवाओं का सपना होता है.

Sp-Santosh Singh

संतोष से अपना परिचय इत्तफाकन है. फेसबुक के सौजन्य से. पर निकले हम लोग बिलकुल करीबी. इनका हमारा गांव लगभग अगल-बगल है. कुछ किलोमीटर की दूरी पर.

बीएचयू के एक फेसबुक ग्रुप पर संतोष ने अपना परिचय दिया हुआ था. उनकी प्रोफाइल देखा तो गाजीपुर के निकले. फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा. मैसेंजर में बातचीत शुरू हुई. गांव घर बताते पूछते पता लगा कि अगल बगल के हैं हम लोग.

इसी बीच संतोष ने कुछ एक न्यूज क्लिप साझा किया जिसमें दो आईपीएस अफसरों के अमेरिका में सम्मानित किए जाने के निर्णय की जानकारी थी. एक संतोष सिंह को, दूसरे अमित कुमार को.

छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस अफसर संतोष सिंह इस वक्त छत्तीसगढ़ के एक जिले के पुलिस कप्तान हैं. पिछले दिनों अपन गाजीपुर थे तो एक रोज फोन पर संतोष जी से लंबी बातचीत शुरू हुई. उनके जीवन और करियर के सफर को लेकर बहुत सारी जानकारियां मिलीं.

गाजीपुर जिले के देवकली गांव निवासी संतोष सिंह ने शुरुआती शिक्षा गांव के प्राइमरी स्कूल से ली. इनके पिता अशोक सिंह कुशवाहा लंबे समय तक दैनिक जागरण के ग्रामीण पत्रकार रहे. बीच में कुछ समय के लिए उन्हें जिला मुख्यालय में ब्यूरो चीफ का काम करने का भी मौका मिला. जाहिर है, सीमित संसाधनों में पले पढ़े संतोष के लिए उच्च शिक्षा हासिल करना एक चैलेंज था. इसीलिए उन्होंने ज्यादा लंबा चौड़ा सपना देखने की बजाय मास्टर बनने का छोटा सा, बेहद आसान सा सपना देखा.

संतोष साइंस मैथ के मेधावी छात्र थे. पर उच्च शिक्षा में उन्होंने जान बूझ कर राजनीति शास्त्र का अध्ययन किया. इस विषय में ऐसा रमे कि बीएचयू में एमए के गोल्डमेडलिस्ट घोषित किए गए.

संतोष को पढ़ने का जुनून था तो उनके पत्रकार पिता अशोक हर हाल में बेटे को पढ़ाने का संकल्प लिए बैठे थे. नतीजा हुआ कि संतोष बीएचयू से एमए में गोल्डमेडल पाने के बाद जेएनयू की तरफ बढ़ चले.

तेज दिमाग देसज बच्चों के लिए जेएनयू की सपनीली दुनिया जीवन का निर्णायक मोड़ साबित होती है. संतोष के लिए भी जेएनयू बहुत क्रांतिकारी साबित हुआ. हर किस्म की क्रांति की बातें सिखाने वाले जेएनयू में रहते हुए संतोष ने वामपंथ के हर रंग देखे. आईएएस आईपीएस अफसर बनते छात्रों को करीब से देखा जाना. बस किसी एक दिन एक पल में दिमाग बदल गया. संतोष को अब मास्टर नहीं सबसे बड़ा वाला अफसर बनना था.

कुछ दिन भूमिगत होकर पढ़ाई की. एग्जाम दिया. सेलेक्ट हो गए. आईपीएस बन गए. छत्तीसगढ़ कैडर मिला. इस प्रदेश से ऐसा प्यार हुआ कि संतोष को छत्तीसगढ़ सबसे प्यारा प्रदेश लगने लगा.

संतोष ने गांव, गरीबी, पुलिस, प्रशासन, प्रबंधन-कुप्रबंधन सबको बहुत नजदीक से देखा है. मिट्टी से जुड़े रहे शख्स को समस्याएं समझानी नहीं होतीं. वे समस्याओं को जिया हुआ होता है. इसलिए उसको किसी समस्या का समाधान निकालने में वक्त नहीं लगता.

कब किसी ने सोचा होगा कि पुलिसिंग को बच्चों से कनेक्ट किया जाए. सोचा भी होगा तो ऐसी बातें एकेडमिक लेवल पर होती होंगी. पुलिस से संबंधित आयोगों की सिफारिशों वाली कूड़ा फांकती फाइलों में पड़ी होंगी. पर संतोष ने इसे कर दिखाया.

वे कहते हैं- हम लोगों ने खुद भी बचपन में महसूस किया है. पुलिस के प्रति बच्चों के मन में एक भय का भाव होता है. बच्चे कई किस्म से शोषित प्रताड़ित किए जाते हैं लेकिन पुलिस के प्रति एक आशंका वाले भाव के चलते ये पीड़ित बच्चे पुलिस के पास जाने की सोच भी नहीं पाते. इसी कारण हम लोगों ने चाइल्ड फ्रेंडली पुलिसिंग का प्रयोग शुरू किया जो उम्मीद से ज्यादा सफल रहा.

मैं चाइल्ड फ्रेंडली पुलिसिंग के डिटेल जानने को उत्सुक हुआ. संतोष ने फोन पर जो कुछ बताया समझाया वह चकित करने वाला था. मैंने उनसे अनुरोध किया चाइल्ड फ्रेंडली पुलिसिंग को लेकर उनके जो प्रयोग हैं उस पर वह डिटेल में एक आर्टकिल लिखें ताकि ये अच्छी चीजें दूसरे प्रदेशों तक पहुंचे.

यूपी में पुलिस वाले मास्क न लगाने पर आम जन को लठियाते दिखे तो उधर संतोष सिंह के नेतृत्व में पुलिस ने लाखों मास्क आम जन में वितरित किया.

संतोष क्रिएटिव हैं. कल्पनाशील हैं. प्रयोगधर्मी हैं. नक्सल बेल्ट में जमीन पर चल रहे युद्ध के एक योद्धा हैं. वे बहुत कुछ जानते हैं. बहुत कुछ देखें हैं. बहुत सारा झेले भी हैं. ऐसे भी पल आए जब जीवन और मौत में बस कुछ सांसों का फासला था.

जेएनयू में किसिम किसिम के लेफ़्टिस्टों और लेफ़्ट सिंपैथाइजरों के बीच रहे संतोष आज स्टेट के साथ डटकर खड़े हैं. उन

🛑सफल संतोष कथा🛑

पुलिस अधीक्षक कोरिया, संतोष सिंह का अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ चीफ्स ऑफ पुलिस (आईएसीपी) ने “आईएसीपी अवार्ड 2021” के लिए किया चयन। विश्व के 6 देशों के 40 पुलिस अधिकारियों को दिया जाएगा ये सम्मान। पुलिसिंग में किए गए अच्छे कार्यों के आकलन के आधार पर दिया जाता है यह अवार्ड।

✍साभार…..यशवंत सिंह

पुलिस अधीक्षक कोरिया, संतोष कुमार सिंह को अमेरिका में स्थित अंतर्राष्ट्रीय पुलिसिंग संस्था आईएसीपी (इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ चीफ्स ऑफ पुलिस) ने “आईएसीपी अवार्ड, 2021″ से सम्मानित करने की घोषणा की है। इस पुलिस संगठन में विश्व के 165 देशों के पुलिस अधिकारी शामिल हैं। संतोष सिंह को यह अवार्ड ’40 अंडर 40′ कैटेगरी में दिया जा रहा है। यह विश्व के 40 वर्ष से कम आयु के ऐसे पुलिस अधिकारी जिन्होंने बेहतर नेतृत्व क्षमता के साथ पुलिसिंग कार्यों में नये प्रयोगों एवं अच्छे कार्यों से परिवर्तन लाने का प्रयास किया है, उन्हें दिया जाता है।

सिंह को उनके द्वारा पिछले आठ वर्षों में बेहतर पुलिसिंग व पुलिस की छवि सुधारने में किये गये कार्यों के आकलन के आधार पर यह अवार्ड दिया जा रहा है। इस बार विश्व के 6 देशों- संयुक्त राज्य अमेरिका, यूएई, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया और भारत के 40 पुलिस अधिकारियों को इस अवार्ड से सम्मानित किया जायेगा। इसमें देश से उत्तरप्रदेश कैडर के आईपीएस अमित कुमार का नाम भी शामिल है। द आईएसीपी प्रतिवर्ष इस तरह के अवार्डस सितंबर माह में अपने वार्षिक समारोह में घोषित करता है और अगले साल के समारोह में अवार्ड पाने वाले को अपने मुख्यालय टेक्सास में व्यक्तिगत रूप से बुलाकर सम्मानित करता है। अधिकारियों को अक्टूबर 2022 में टेक्सास, अमेरिका में यह अवार्ड प्रदान किया जायेगा। पूर्व में छत्तीसगढ़ से डीआईजी ईओडब्ल्यू आरिफ शेख को यह अवार्ड प्राप्त हुआ है।

उल्लेखनीय है कि संतोष सिंह ने बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लंबे समय तक सराहनीय काम किया है। महासमुंद पदस्थापना के दौरान बाल हितैषी पुलिसिंग को मजबूत करते हुये लगभग एक लाख बच्चों को सेल्फ-डिफेंस का प्रशिक्षण दिलवाया, जो कि एक विश्व रिकार्ड के रूप में दर्ज हुआ। इन कार्यों हेतु उप-राष्ट्रपति वैंकेया नायडू के हाथों दिल्ली के विज्ञान भवन में दिसंबर 2018 में ‘चैंपियंस ऑफ चेंज’ अवार्ड मिला। रायगढ़ पदस्थापना के दौरान रायगढ़ पुलिस ने अपराध नियंत्रण के साथ कोविड में प्रशंसनीय कार्य किया। पुलिस हेल्प-डेस्क के माध्यम से जरूरतमंदों को कोविड के प्रथम चरण में लगभग एक लाख और द्वितीय चरण में चालीस हजार सूखा राशन व फूड पैकेट्स उपलब्ध कराया गया। रायगढ़ पुलिस ने जनसहयोग से मॉस्क-जागरूकता के चर्चित अभियान ‘एक रक्षा-सूत्र मास्क का’ के तहत पिछले वर्ष रक्षाबंधन के दिन, एक ही दिन में 12.37 लाख मॉस्क बंटवाकर विश्व रिकार्ड बनाया, जो गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड, एशिया बुक ऑफ रिकार्ड व इण्डिया बुक ऑफ रिकार्ड आदि में दर्ज हुआ। कोरिया में इनके नेतृत्व में निजात अभियान के तहत नारकोटिक्स व ड्रग्स के विरुद्ध पुलिस द्वारा सख्त वैधानिक कार्यवाही व जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। संतोष सिंह ने दोस्तों, पुलिस विभाग के सहकर्मियों और सीनियर्स का धन्यवाद ज्ञापित किया है, जिनके सहयोग और योगदान से यह अवार्ड मिला है।

नगर कोतवाल….मनीष नागर

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में आईपीएस रहे एसपी संतोष कुमार सिंह जाने से 6 महीना पहले एक ऐसा थानेदार छोड़ा जो हर क्राइम वालों की नब्ज पकड़ कर ताबड़तोड़ कार्रवाई की… जो अभी तक जारी है! इन क्राइम करने वालों के ऊपर बरसाया कहर चिटफंड कंपनी,सेक्स रैकेट,फर्जी कपड़ों की बिलिंग,फर्जी जमीन दलाल,फर्जी shaadi.com, जुआ, सट्टा, इसके अलावा ऐसे बहुत सारे क्राइम जिसमें मनीष नागर ने अपने जुनून और जज्बात से रायगढ़ पूर्व एसपी संतोष कुमार सिंह एवं एसपी अभिषेक मीणा का नाम रोशन किया है!इस कामयाबी के 7 महिने पूरे होने पर रायगढ़ सिटी कोतवाली के नगर कोतवाल को न्यूज़ मिर्ची 24 की टीम बधाई देती है….!

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