सदियों से चली आ रही परंपरा ही सनातन संस्कृति की पहचान:शंकर लाल अग्रवाल…
चुनावी शोरगुल के बीच शंकर लाल का जन संपर्कजारी
रायगढ़. 17 तारीख को मतदान के बाद लगभग सभी प्रत्याशी व उम्मीदवार अपनी अपनी चुनावी थकान मिटा रहे हैं l हालांकि चुनावी शोरगुल अभी ठीक से थमा नहीं है लोग 3 दिसम्बर की प्रतीक्षा में है और चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थी अपने-अपने हर जीत को लेकर अलग-अलग समीक्षा कर रहे हैं l इस चुनावी शोरगुल के बीच शंकर लाल अग्रवाल निश्चिंत होकर जनसंपर्क कर रहे है। वे रविवार दोपहर ग्राम पंचायत जुर्डा के इको पार्क में आयोजित आंवला पूजन एवं वन भोज कार्यक्रम मे शामिल हुए है l
इको पार्क में उन्होंने ग्रामीण तथा आम जनों से मुलाकात कर विधिवत आंवला पूजन किया और उसके पश्चात ग्रामीणों के साथ बैठकर वन भोज भी किया l इस अवसर पर उन्होंने इको पार्क में उपस्थित सैकड़ो की संख्या में महिलाएं और बच्चों को आंवला पूजन की बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सदियों से चली आ रही परंपरा ही सनातन संस्कृति की पहचान है l प्रचलित कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आई l रास्ते में भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई तो माता लक्ष्मी ने विचार किया कि भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ कैसे हो सकती है l
तभी उन्हें ख्याल आया कि तुलसी और बेल की गुण एवं शक्ति एक साथ आंवला में समाहित है l तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है और बेल भगवान शिव को l इसीलिए माता लक्ष्मी ने आंवला के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिन्ह मानकर अवल के वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा की l
पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और शिव जी प्रकट हुए और माता लक्ष्मी ने उन्हें अवल के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर उन्हें भोज कराया इस समय से यह परंपरा चली आ रही है l इसके आगे शंकर अग्रवाल ने कहा कि हम सबको मिलकर सनातन संस्कृति तथा ग्रामीण परिवेश को आगे ले जाना है। जिसके लिए मैं हमेशा आप लोगों के साथ खड़ा रहूंगा वही ग्रामीणों में भी अवसर पर शंकर अग्रवाल जी का भव्य स्वागत किया तथा उनके उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें वरिष्ठ जनों ने आशीर्वाद भी दिया l जुर्डा की इको पार्क के कार्यक्रम स्थल पर सैकड़ो की संख्या में महिलाएं और ग्रामीण उपस्थित रहे l