CG:नान घोटाला:पूर्व महाधिवक्ता को राहत मिलेगी या नहीं..?
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याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित…
रायगढ़।पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को राहत मिलेगी या नहीं, इस पर फैसला हाईकोर्ट ने सुरक्षित रख लिया है। एसीबी-ईओडब्ल्यू की दर्ज FIR को लेकर रायपुर की एसीबी कोर्ट के फैसले को पूर्व एजी ने हाईकोर्ट में चैलेंज किया है। सतीश चंद्र वर्मा की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई, जिसके बाद सिंगल बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
पूर्व महाधिवक्ता की तरफ से वरीष्ठ वकील किशोर भादुड़ी ने पैरवी की। इससे पहले रायपुर की एसीबी कोर्ट में भी अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी, लेकिन रायपुर की एसीबी कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद सतीश चंद्र वर्मा ने फैसले को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में चैलेंज किया। जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच में याचिका पर सुनवाई हुई।
क्या है पूरा मामला….
छत्तीसगढ़ के नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले में EOW की ओर 4 नवंबर को नई FIR दर्ज की गई है। जिससे घोटाले में दो पूर्व IAS और पूर्व महाधिवक्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। ईओडब्ल्यू में 2015 में दर्ज नान घोटाले में आरोप है कि तीनों ने प्रभावों का दुरुपयोग कर गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास किया है। इसी मामले में 2019 में ईडी ने केस दर्ज किया है।
गवाहों पर दबाव बनाया, बयान बदलवाने की कोशिश
EOW (राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) ने ED की ओर से भेजे गए प्रतिवेदन के बाद FIR की है। डॉ. आलोक और अनिल टुटेजा पिछली सरकार में प्रभावशाली माने जाते थे। इन अधिकारियों का 2019 से लगातार सरकार के संचालन नीति निर्धारण और अन्य कार्यों में खासा दखल था। शासन के महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थापना और स्थानांतरण में भी उनका हस्तक्षेप होने की चर्चा थी।
ईओडब्ल्यू के अनुसार तीनों ने आपराधिक साजिश करते हुए ईओडब्ल्यू में पोस्टेड बड़े अफसरों के प्रक्रियात्मक और विभागीय कार्यों से संबंधित दस्तावेजों और जानकारी में बदलाव करने का प्रयास किया। वहां दर्ज नान के मामले में अपने पक्ष को हाईकोर्ट में पेश करने के लिए खुद जवाब दावा बनवाया, ताकि उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ मिल सके। इतना ही नहीं तीनों ने केस से जुड़े गवाहों पर भी दबाव बनाया और बयान बदलवाने की कोशिश की।