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OMG:सरस्वती राइस मिल की अजब-गजब कहानी”साढ़े तीन करोड़ की जमीन की वैल्यु हो गई 24 लाख
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स्टाम्प ड्यूटी कम लगे इसलिए पहले डायवर्सन हटाया, फिर कराई रजिस्ट्री
साढ़े तीन करोड़ की जमीन की वैल्यु हो गई 24 लाख, सहदेवपाली में सरस्वती राइस मिल की अजब-गजब कहानी

रायगढ़, 11 अगस्त।
राजस्व विभाग का काम भी गजब ही है। व्यापारी को निजी लाभ पहुंचाने के लिए अपनी ही सरकार की जेब काटने से भी इनको गुरेज नहीं है। जमीन जिस पर राइस मिल लगाई गई थी, उसमें से एक हिस्से का डायवर्सन निरस्त कराया गया। उसे वापस कृषि भूमि दिखाकर दूसरे को बेच दी गई। यह सब इसलिए किया गया ताकि स्टाम्प ड्यूटी कम देनी पड़े। करीब चार करोड़ की जमीन 24 लाख की हो गई।

यह दिलचस्प मामला पुसौर तहसील के सहदेवपाली का है। पटवारी हल्का नंबर 41 खसरा नंबर 29/1 रकबा 2.771 हे. में सरस्वती राइस मिल स्थापित की गई थी। इसके पूर्व 1993 में पूरी भूमि का व्यावसायिक डायवर्सन कराया गया था। स्वामी रामकुमार पिता नरसिंहदास बंसल ने 22-23 में आवेदन लगाया कि 2.771 हे. में से 1.901 में ही मिल लगी है। उन्होंने बाकी 0.870 हे. भूमि को पुन: व्यावसायिक से कृषि भूमि में डायवर्सन करने आवेदन लगाया। दरअसल उनकी मंशा जमीन को बेचने की थी इसलिए पहले डायवर्सन निरस्त करवाया। नियम विरुद्ध डायवर्सन को खारिज किया गया। पुसौर तहसील के सहदेवपाली आरआई और हल्का पटवारी की भूमिका संदेहास्पद है क्योंकि उनका प्रतिवेदन ही वैध नहीं है। व्यवसायी रामकुमार के आवेदन पर 0.870 हे. का डायवर्सन व्यावसायिक से कृषि कर दिया गया जबकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। पटवारी लता साहू ने रिकॉर्ड दुरुस्त कर नया खसरा नंबर 29/4 रकबा 0.870 हे. सृजित किया गया। इसके बाद दस दिनों के अंदर ही जमीन को प्रभाकर सिंघानिया पिता शंकर लाल सिंघानिया निवासी फ्रेंड्स कॉलोनी रायगढ़ को बेच दिया गया। 18 अगस्त 2023 को रजिस्ट्री हुई। इसमें सरकार को राजस्व हानि हुई है।

किसका नुकसान, किसका फायदा इस अवैध प्रक्रिया से व्यापारी को लाखों का फायदा हुआ लेकिन सरकार की जेब कट गई। डायवर्टेड भूमि की गाइडलाइन दर सहदेवपाली में रोड से 20 मीटर दूर के हिसाब से 4340 रुपए प्रति वर्ग मीटर है।

0.870 हे. मतलब 8700 वर्ग मीटर क्षेत्रफल का 3,77,58,000 रुपए होगा। इसकी ढाई गुना राशि पर 6.6 प्रश स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर 62.30 लाख रुपए होगी। अगर जमीन सहदेवपाली के अंदर मानी जाए तो दर 2590 रुपए प्रति वर्ग मीटर होगी।

इस हिसाब से भूमि की वैल्यु 2,25,33,000 रुपए होती है। इसका ढाई गुना करके 6.6 प्रश स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर 37.18 लाख रुपए होगा। लेकिन रजिस्ट्री में कृषि भूमि के हिसाब से वैल्यु ही 27,66,400 रुपए प्रति हे. के हिसाब से आकलित की गई। इस वजह से जमीन की कीमत 24.07 लाख निकाली गई। हालांकि विक्रय प्रतिफल 60 लाख रुपए दर्शाया गया है, जिसके आधार पर 3,96,100 रुपए स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर दिए गए। सोचिए कि जहां सरकारी खजाने को 37 लाख या 62 लाख मिलते, वहां मात्र चार लाख रुपए मिले।
अब बाकी जमीन बेचने का प्रयास
अब इस कहानी का दूसरा भाग भी शुरू हो चुका है। शेष 1.901 हे. में राइस मिल, गोदाम आदि का निर्माण है। इसको बेचने की तैयारी है। लेकिन इसके वैल्युएशन में भी गड़बड़ी की गई है। डायवर्टेड भूमि पर परिसंपत्तियों की भी कीमत जोड़ी जाती है। उस पूरी राशि पर ही स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर लगाए जाते हैं। एनएच से करीब 100-150 मीटर में ही सरस्वती राइस मिल है।

सरस्वती राइस मिल के खुलेंगे राज, कमिश्नर ने दिए जांच के आदेश कम मूल्य आकलन कर रजिस्ट्री की शिकायत पर कलेक्टर को लिखा पत्र, एक महीने तक दबी रही फाइल
रायगढ़, 13 अगस्त। राजस्व विभाग में गड़बडिय़ों पर स्थानीय स्तर पर कार्रवाई बंद हो गई तो अब शिकायतें कमिश्नर के पास पहुंचने लगी हैं। सरस्वती राइस मिल सहदेवपाली मामले में कमिश्नर ने कलेक्टर को जांच के आदेश दिए हैं। मामला संपत्ति का कम आकलन कर रजिस्ट्री कराने का है। दरअसल सरकार को स्टाम्प ड्यूटी कम देनी पड़े इसलिए डायवर्टेड लैंड को वापस कृषि भूमि दर्ज करवाया गया।
पुसौर तहसील के सहदेवपाली में स्थित सरस्वती राइस मिल कई राज समेटे हुए है। इसका प्रारंभिक रूप से खुलासा हो चुका है। अब मामला बिलासपुर संभागायुक्त तक पहुंच गया है। कमिश्नर ने कलेक्टर को इसकी जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। यह मामला बेहद गंभीर है जिसमें एक बार रजिस्ट्री कराई जा चुकी है। पुसौर तहसील के सहदेवपाली में पटवारी हल्का नंबर 41 खसरा नंबर 29/1 रकबा 2.771 हे. में सरस्वती राइस मिल स्थापित की गई थी। इसके पूर्व 1993 में पूरी भूमि का व्यावसायिक डायवर्सन कराया गया था। स्वामी रामकुमार पिता नरसिंहदास ने 22-23 में आवेदन लगाया कि 2.771 हे. में से 1.901 में ही मिल लगी है। उन्होंने बाकी 0.870 हे. भूमि को पुन: व्यावसायिक/औद्योगिक से कृषि भूमि में डायवर्सन करने आवेदन लगाया। दरअसल उनकी मंशा जमीन को बेचने की थी इसलिए पहले डायवर्सन निरस्त करवाया। नियम विरुद्ध डायवर्सन को खारिज किया गया। व्यवसायी रामकुमार के आवेदन पर 0.870 हे. का डायवर्सन व्यावसायिक से कृषि कर दिया गया जबकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। पटवारी ने रिकॉर्ड दुरुस्त कर नया खसरा नंबर 29/4 रकबा 0.870 हे. सृजित किया गया। इसके बाद जमीन प्रभाकर सिंघानिया पिता शंकर लाल सिंघानिया निवासी फ्रेंड्स कॉलोनी रायगढ़ को बेच दी गई। 18 अगस्त 2023 को रजिस्ट्री हुई। जांच के आदेश होने के बाद फाइल रोककर रखी गई थी।
चार करोड़ की जमीन हो गई 60 लाख की
इससे व्यवसायी को लाखों का फायदा हुआ लेकिन सरकार की जेब कट गई। डायवर्टेड भूमि की गाइडलाइन दर सहदेवपाली में रोड से 20 मीटर दूर के हिसाब से 4340 रुपए प्रति वर्ग मीटर है। 0.870 हे. मतलब 8700 वर्ग मीटर क्षेत्रफल का 3,77,58,000 रुपए होगा। इसकी ढाई गुना राशि पर 6.6 प्रश स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर 62.30 लाख रुपए होगी। अगर जमीन सहदेवपाली के अंदर मानी जाए तो दर 2590 रुपए प्रति वर्ग मीटर होगी। इस हिसाब से भूमि की वैल्यु 2,25,33,000 रुपए होती है। इसका ढाई गुना करके 6.6 प्रश स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर 37.18 लाख रुपए होगा। लेकिन रजिस्ट्री में कृषि भूमि के हिसाब से वैल्यु ही 27,66,400 रुपए प्रति हे. के हिसाब से आकलित की गई। इस वजह से जमीन की कीमत 24.07 लाख निकाली गई। हालांकि विक्रय प्रतिफल 60 लाख रुपए दर्शाया गया है, जिसके आधार पर 3,96,100 रुपए स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर दिए गए। सोचिए कि जहां सरकारी खजाने को 37 लाख या 62 लाख मिलते, वहां मात्र चार लाख रुपए मिले।
बाकी जमीन पर वारिसों का नाम चढ़ा
अब खनं 29/1 में शेष 1.901 हे. में भूमि पर राइस मिल, गोदाम आदि निर्माण हैं। इसको बेचने की तैयारी है। लेकिन इसके वैल्युएशन में गड़बड़ी की गई है। डायवर्टेड भूमि पर परिसंपत्तियों की भी कीमत जोड़ी जाती है। उस पूरी राशि पर ही स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर लगाए जाते हैं। पहले यह जमीन रामकुमार पिता नरसिंहदास के नाम पर थी लेकिन अब इस पर उनके पुत्र प्रवीण, संजय, संदीप बंसल समेत पौत्र प्रखर, अनमोल, मयंक, वैभव, दिव्यांश और रश्मि बंसल का नाम चढ़ाया जा चुका है।

17 अगस्त 2024

पटवारी ने बिना अनुमति खरीदी जमीन, नकद में दिखाया भुगतान
0 सांगीतराई में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से बचने के लिए सरपंच ने की डील
रायगढ़, 17 अगस्त। राजस्व विभाग की बेबसी की कोई सीमा नहीं है। विभाग अब तक यह पता नहीं लगा सका है कि सांगीतराई की करीब 15 एकड़ सरकारी जमीन को किसने बेचा। शहर से लगे इस क्षेत्र में जमीनों की कीमत बहुत ज्यादा है। बेशकीमती जमीन को खाली कराना तो दूर सबको नोटिस तक नहीं दिया गया। अब एक नई जानकारी सामने आई है जिसमें पता चला है कि पटवारी ने खुद ही यहां जमीन खरीद ली। भुगतान भी नकद में किया।
कोई भी शासकीय सेवक जमीन खरीदने से पूर्व शासन से अनुमति लेना अनिवार्य है। रायगढ़ जिले में एक के बाद एक कई जगहों पर अधिकारी-कर्मचारी जमीनें खरीद रहे हैं। लेकिन को कोई अनुमति नहीं ले रहा। आय से अधिक संपत्ति केे कई मामले सामने आ सकते हैं। अब जो मामला सामने आया है वह बेहद गंभीर प्रकृति का है। पटवारी को जिस हलके की जिम्मेदारी दी जाती है, वहां सरकारी जमीन पर कब्जे रोकने की उम्मीद भी की जाती है। सांगीतराई का एक मजेदार मामला पता चला है। यहां पटवारी की पदस्थापना की गई थी। सांगीतराई में 15 एकड़ से अधिक सरकारी जमीन को लोकल भूमाफिया ने स्टाम्प पर बेच दिया है। कई परिवारों को चंद हजार रुपए में शासकीय जमीन का टुकड़ा दे दिया गया। पुष्पलता राठिया को इसमें प्रतिवेदन देना था। सीमांकन के बाद बेदखली की कार्रवाई की जानी थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। कुछ महीनों बाद पता चला कि पटवारी ने खुद भी वहां खसरा नंबर 8/1 रकबा 0.117 हे. भूमि खरीद ली। साहबाईन पति श्रीराम, आजाद, राजेंद्र सिदार और उषा ने जमीन की रजिस्ट्री जून 2022 में पुष्पलता राठिया के नाम कर दी। इसके लिए कोई पुर्वानुमति नहीं ली गई।
नकद में किया भुगतान
पटवारी ने जमीन खरीदने से पहले विधिवत अनुमति ही नहीं ली। रजिस्ट्री में लिखा गया है कि लेन-देन नकद में किया गया है। 5.14 लाख रुपए भूमिस्वामी को पटवारी ने दिए। जबकि 20 हजार रुपए से अधिक की संपत्ति क्रय करने पर चैक से भुगतान करने का प्रावधान है। यह रकम अवैध आय से अर्जित की गई थी इसीलिए ऐसे भुगतान किया गया।
सरपंच की भी भूमिका
सूत्रों के मुताबिक इस जमीन को खरीदने के लिए सरपंच ने बहुत मदद की। सरकारी जमीन बेचने वालों पर कार्रवाई नहीं करने के एवज में यह अघोषित डील की गई। आखिर क्या समझौता हुआ कि पटवारी को सांगीतराई में बेशकीमती जमीन मिल गई। इसकी शिकायत कलेक्टर से हुई है। एसडीएम को जांच के आदेश दिए गए हैं।

22 अगस्त 2024

सरकार को नुकसान पहुंचाने वाले राइस मिल मालिक नपेंगे
जांच कैसे करें इसी असमंजस में फंसे अधिकारी, पटवारी-आरआई पर भी उठ रही उंगली, 62 लाख का नुकसान
रायगढ़, 22 अगस्त।
पुसौर तहसील के सहदेवपाली स्थित सरस्वती राइस मिल का मामला बेहद गंभीर हो गया है। बिलासपुर संभागायुक्त से जांच के आदेश मिलने के बाद स्थानीय अधिकारी पसोपेश में हैं। कमिश्नर की फाइल भी करीब एक महीने तक एक अधिकारी ने दबाकर रखी थी। लेकिन खुलासा होने के बाद मजबूरन फाइल आगे बढ़ानी पड़ी। बताया जा रहा है कि जांच हुई तो राइस मिल मालिक और कुछ राजस्व कर्मचारियों के विरुद्ध अपराध दर्ज हो सकता है।
व्यापारी को लाभ पहुंचाने के लिए शासन की जेब काट ली गई। रजिस्ट्री में स्टाम्प ड्यूटी कम लगे इसके लिए एक ही खसरा नंबर के करीब सवा एकड़ हिस्से का डायवर्सन निरस्त कर वापस कृषि भूमि कर दिया गया। पुसौर तहसील के सहदेवपाली में पटवारी हल्का नंबर 41 खसरा नंबर 29/1 रकबा 2.771 हे. में सरस्वती राइस मिल स्थापित की गई थी। इसके पूर्व 1993 में पूरी भूमि का व्यावसायिक डायवर्सन कराया गया था। स्वामी रामकुमार पिता नरसिंहदास ने 22-23 में आवेदन लगाया कि 2.771 हे. में से 1.901 में ही मिल लगी है। उन्होंने बाकी 0.870 हे. भूमि को पुन: व्यावसायिक/औद्योगिक से कृषि भूमि में डायवर्सन करने आवेदन लगाया। दरअसल उनकी मंशा जमीन को बेचने की थी इसलिए पहले डायवर्सन निरस्त करवाया। नियम विरुद्ध डायवर्सन को खारिज किया गया। व्यवसायी रामकुमार के आवेदन पर 0.870 हे. का डायवर्सन व्यावसायिक से कृषि कर दिया गया जबकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। पटवारी ने रिकॉर्ड दुरुस्त कर नया खसरा नंबर 29/4 रकबा 0.870 हे. सृजित किया गया। इसके बाद जमीन प्रभाकर सिंघानिया पिता शंकर लाल सिंघानिया निवासी फ्रेंड्स कॉलोनी रायगढ़ को बेच दी गई। 18 अगस्त 2023 को रजिस्ट्री हुई। जांच के आदेश होने के बाद फाइल रोककर रखी गई थी। कमिश्नर ने कलेक्टर को इसकी जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। यह मामला बेहद गंभीर है।
चार करोड़ की जमीन हो गई 60 लाख की
इससे व्यवसायी को लाखों का फायदा हुआ लेकिन सरकार की जेब कट गई। डायवर्टेड भूमि की गाइडलाइन दर सहदेवपाली में रोड से 20 मीटर दूर के हिसाब से 4340 रुपए प्रति वर्ग मीटर है। 0.870 हे. मतलब 8700 वर्ग मीटर क्षेत्रफल का 3,77,58,000 रुपए होगा। इसकी ढाई गुना राशि पर 6.6 प्रश स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर 62.30 लाख रुपए होगी। अगर जमीन सहदेवपाली के अंदर मानी जाए तो दर 2590 रुपए प्रति वर्ग मीटर होगी। इस हिसाब से भूमि की वैल्यु 2,25,33,000 रुपए होती है। इसका ढाई गुना करके 6.6 प्रश स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर 37.18 लाख रुपए होगा। लेकिन रजिस्ट्री में कृषि भूमि के हिसाब से वैल्यु ही 27,66,400 रुपए प्रति हे. के हिसाब से आकलित की गई। इस वजह से जमीन की कीमत 24.07 लाख निकाली गई। हालांकि विक्रय प्रतिफल 60 लाख रुपए दर्शाया गया है, जिसके आधार पर 3,96,100 रुपए स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर दिए गए। जहां सरकारी खजाने को 62 लाख मिलते, वहां मात्र चार लाख रुपए मिले। पहले राइस मिल रामकुमार पिता नरसिंहदास के नाम पर थी लेकिन अब इस पर उनके पुत्र प्रवीण, संजय, संदीप बंसल समेत पौत्र प्रखर, अनमोल, मयंक, वैभव, दिव्यांश और रश्मि बंसल का नाम चढ़ाया जा चुका है।

25 अगस्त 2024
सरस्वती राइस मिल मामले की जांच शुरू, लाखों का पहुंचाया नुकसान

एसडीएम ने क्रेता-विक्रेता और पटवारी की भूमिका जांचने तलब किए दस्तावेज, विधि विरुद्ध हुआ डायवर्सन निरस्त
रायगढ़, 25 अगस्त। पुसौर तहसील के सहदेवपाली स्थित सरस्वती राइस मिल की रजिस्ट्री का मामला उलझता जा रहा है। बिलासपुर संभागायुक्त ने जांच के आदेश दिए हैं। इसके बाद एसडीएम ने क्रेता-विक्रेता और पटवारी-आरआई की भूमिका की जांच करने दस्तावेज तलब किए हैं। बहुत जल्द इस कारनामे से पर्दा उठेगा और सरकार को नुकसान पहुंचाने वाले बेनकाब होंगे।
कैसी विडंबना है कि आम आदमी को एक वैध सीमांकन या नामांतरण कराने के लिए राजस्व विभाग के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं। वहीं कुछ धन्ना सेठों को तत्काल की सुविधा मिल जाती है। कितना भी नियम विरुद्ध काम हो, अगर वजन सही है तो चुटकियों में काम हो जाता है। वहां गलत-सही की कोई व्याख्या ह नहीं है। सरस्वती राइस मिल मामले में भी कुछ ऐसा ही है। स्टाम्प ड्यूटी बचाने के लिए एक ही खसरा नंबर के करीब सवा एकड़ हिस्से का डायवर्सन निरस्त कर वापस कृषि भूमि कर दिया गया। जबकि ऐसा करना विधि विरुद्ध है। छग राजस्व संहिता में ऐसा कोई नियम नहीं है जो इस काम को सही ठहरा सके। पुसौर तहसील के सहदेवपाली में पटवारी हल्का नंबर 41 खसरा नंबर 29/1 रकबा 2.771 हे. में सरस्वती राइस मिल स्थापित की गई थी। इसके पूर्व 1993 में पूरी भूमि का व्यावसायिक डायवर्सन कराया गया था। स्वामी रामकुमार पिता नरसिंहदास ने 22-23 में आवेदन लगाया कि 2.771 हे. में से 1.901 में ही मिल लगी है। उन्होंने बाकी 0.870 हे. भूमि को पुन: व्यावसायिक/औद्योगिक से कृषि भूमि में डायवर्सन करने आवेदन लगाया। जमीन बेचने के लिए पहले डायवर्सन निरस्त करवाया। व्यवसायी रामकुमार के आवेदन पर 0.870 हे. का डायवर्सन व्यावसायिक से कृषि कर दिया गया जबकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। पटवारी ने रिकॉर्ड दुरुस्त कर नया खसरा नंबर 29/4 रकबा 0.870 हे. सृजित किया गया। इसके बाद जमीन प्रभाकर सिंघानिया पिता शंकर लाल सिंघानिया निवासी फ्रेंड्स कॉलोनी रायगढ़ को बेच दी गई। 18 अगस्त 2023 को रजिस्ट्री हुई। कमिश्नर ने कलेक्टर को इसकी जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। एसडीएम ने इसकी जांच शुरू कर दी है। दस्तावेज तलब कर क्रेता-विक्रेता, आरआई और पटवारी को नोटिस देने की तैयारी है। कहा जा रहा है कि यह सिर्फ गड़बड़ी नहीं बल्कि आपराधिक साजिश है, जिसमें एफआईआर दर्ज हो सकती है।
करोड़ों में हुआ है सौदा
सरस्वती राइस मिल के 0.870 हे. भूमि का सौदा करोड़ों मेें हुआ है। सहदेवपाली एक इंडस्ट्रियल एरिया के रूप में डेवलप हो चुका है। यहां जमीनों की कीमतें आसमान में हैं। बताया जा रहा है कि सरस्वती राइस मिल के 0.870 हे. का सौदा करीब दस करोड़ में हुआ है। इसमें कैश में बहुत भुगतान हुआ है। आयकर विभाग भी इस रजिस्ट्री को लेकर सतर्क हो गया है। मात्र 60 लाख रुपए में जमीन का सौदा दिखाया गया है जो नामुमकिन है।
इतनी बड़ी गड़बड़ी में कौन-कौन शामिल
डायवर्टेड भूमि की गाइडलाइन दर सहदेवपाली में रोड से 20 मीटर दूर के हिसाब से 4340 रुपए प्रति वर्ग मीटर है। 0.870 हे. मतलब 8700 वर्ग मीटर क्षेत्रफल का 3,77,58,000 रुपए होगा। इसकी ढाई गुना राशि पर 6.6 प्रश स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर 62.30 लाख रुपए होगी। अगर जमीन सहदेवपाली के अंदर मानी जाए तो दर 2590 रुपए प्रति वर्ग मीटर होगी। इस हिसाब से भूमि की वैल्यु 2,25,33,000 रुपए होती है। इसका ढाई गुना करके 6.6 प्रश स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर 37.18 लाख रुपए होगा। रजिस्ट्री में कृषि भूमि के हिसाब से वैल्यु ही 27,66,400 रुपए प्रति हे. के हिसाब से आकलित की गई। इस वजह से जमीन की कीमत 24.07 लाख निकली। विक्रय प्रतिफल 60 लाख रुपए दर्शाया गया, जिसके आधार पर 3,96,100 रुपए स्टाम्प ड्यूटी व अन्य कर दिए गए। जहां सरकारी खजाने को 62 लाख मिलते, वहां मात्र चार लाख रुपए मिले। पहले राइस मिल रामकुमार पिता नरसिंहदास के नाम पर थी लेकिन अब इस पर उनके पुत्र प्रवीण, संजय, संदीप बंसल समेत पौत्र प्रखर, अनमोल, मयंक, वैभव, दिव्यांश और रश्मि बंसल का नाम चढ़ाया जा चुका है। बताया जा रहा है कि क्रेता और विक्रेता की मौत हो चुकी है।
वर्सन
जांच के आदेश मिले हैं। जल्द ही इसमें दस्तावेज तलब कर संबंधितों को नोटिस दिया जाएगा। सरकार को राजस्व क्षति पहुंचाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
– प्रवीण तिवारी, एसडीएम रायगढ़

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