भारतमाला:एक बार फिर कृषि भूमि में हो रहा रातों रात शेड निर्माण आखिर क्यूं…कहां है~जिम्मेदार अधिकारी?
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आखिर कैसे हुई कृषि भूमि में शेड निर्माण, क्या व्यापार के लिए डायवर्सन जरूरी नहीं।
कम निवेश कर ज्यादा मुनाफा कमाने का यह तरीका अपना रहे….
एक समय था जब किसी जगह भू-अर्जन की खबर आती थी तो भुअर्जन होने वाले क्षेत्र के लोग डरे सहमे से रहते थे,कि जब उन्हें अपना जगह छोड़ना पड़ेगा!
तो वे कहा जाएंगे क्या करेंगे लेकिन अब के समय में तो कुछ लोग इसका अर्थ ही बदल कर रख दिए है। मानो व्यापार ही बना लिए है जिसे आप तस्वीर के माध्यम से देख सकते है।
रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक का भुअर्जन क्षेत्र जहां दूर दूर तक खेतों में अभी भी ऑलवेस्टर के शीट लगाकर शेड का निर्माण किए हुए है वही बड़ी बड़ी बिल्डिंग बनाकर छोड़ दिए जिसके बाद मुआवजा का बड़ा खेल खेला गया वही शिकायत जांच के बाद छोटे कर्मचारियों पर कार्यवाही तो हुई पर बड़े अधिकारियों पर अब तक कार्यवाही नहीं हो सकी, यही पैंतरा अब धरमजयगढ़ के लोग अपना रहे है ।
धरमजयगढ़ विकासखंड में भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत सर्वे कार्य किया गया, जिसके बाद आसान तरीके से जल्दी और ज्यादा पैसा कमाने की लालच में कुछ लोग निवेश कार्य में लग गए जिससे कि कम खर्च कर ज्यादा मुनाफा कैसे कमाया जाए।
भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बिलासपुर से पंतोरा होते हुए उरगा-धरमजयगढ़ तक फोरलेन सड़क निर्माण कार्य प्रगति पर है। पहले चरण में बिलासपुर से उरगा तक 70 किलोमीटर सड़क लगभग 1500 करोड़ रुपए में बनेगी। वही दूसरे चरण में उरगा से पत्थलगांव, कुनकुरी तक 105 किलोमीटर की सड़क लगभग 1275 करोड़ रुपए की लागत से बनेगी।
आखिर कैसे हुई कृषि भूमि में शेड निर्माण, क्या व्यापार के लिए डायवर्सन जरूरी नहीं।
धरमजयगढ़ ब्लॉक के बायसी कॉलोनी के आश्रित ग्राम मेढ़रमार में भारतमाला परियोजना का सर्वे कई बार हो चुका था,पर कंपनी द्वारा किस जगह से मार्ग को लेकर जाना है, जगह फाइनल नही हो पा रही थी।
वही अचानक एक बार फिर सर्वे होने के बाद ग्रामीणों ने उसे फाइनल सर्वे मानकर जिस जगह सर्वे किया गया उसके अंतर्गत आने वाले किसानों के जमीन में अब रातों रात शेड निर्माण कार्य शुरू हो गया दिलचस्प की बात यह है कि क्या व्यापार करने के उद्देश्य से कार्य जा रहा शेड निर्माण को डायवर्सन की जरूरत नहीं अगर ऐसे में भू अर्जन में जमीन जाती हैं तो मुआवजा किस आधार पर बनायेंगे जिम्मेदार अधिकारी।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जिन किसानों के जमीन के पास सर्वे किया गया था,जिन किसानों की आर्थिक स्थिति सही नहीं है,रसखुदार उनकी जानकारी निकालकर उनके कृषि भूमि में अपना धन निवेश करने में लग गए जिससे कि अगर प्रोजेक्ट अंतर्गत किसानों की जमीन जाती है तो किसान को मोटी रकम मुआवजा के तौर पर मिलेगा जिससे किसानों के साथ साथ रसूखदारों को भी फायदा होगा।
अब ऐसे में यह सवाल उठता है, कि सर्वे के बाद किसानों की कृषि भूमि पर लगातार शेड का निर्माण किया जा रहा है,अगर वाकई इन किसानों के जमीन प्रोजेक्ट अंतर्गत जाती है,तो बिना डायवर्सन का जमीन में शेड निर्माण का शासन मुआवजा किस आधार पर देगा, हल्के पटवारी को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है…