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छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में हाथियों को भगाने की अनूठी परंपरा….हाथी के छठी कार्यक्रम में 6 गांव में लोग हुए शामिल….मान्यता है कि छठी के बाद क्षेत्र से पलायन कर जाते हैं गजराज…पढ़ें न्यूज़ मिर्ची-24

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वनांचल से आ रही है अनूठी खबर
40 हाथियों सक्रियता के बीच,वनग्राम में मनाया गया हाथी के शावक का जन्मोत्सव

बड़ी संख्या में आदिवासी ग्रामीण वन विभाग के कर्मचारी जन्मोत्सव कार्यक्रम में शामिल हुए,विधी-विधान से की गई पूजा-पाठ,वनभोज भी बनाया गया

रायगढ़/लैलूँगा- जिले में औद्योगिकरण के इस दौर में जहां जंगलों की अंधाधुंध कटाई जारी है। बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई की वजह से जिले में वन जीवों और इंसानों के बीच अप्रिय मुठभेड़ की खबरें बेहद भी आम हो चुकी हैं। खासकर हाथी और इंसानों का आमना-सामना तो रोज होने वाली घटना बन चुकी है। जिसमें दोनों तरफ जान-माल का काफी नुकसान हुआ चूका है। यहां दर्जनों जंगली हाथी करेंट और वाहन की चपेट में आकर मारे गए है तो वही इंसानों ने भी बड़ी संख्या में अपनी जान गंवाई है। ऐसे में हाथी और इंसानों के बीच कम से कम मुठभेड़ हो इस प्रयास के लिए वन विभाग को भी कड़ी मसक्कत करनी पड़ती है।फिलहाल तमाम अप्रिय घटनाओं के मद्देनजर जिले के वनग्राम से एक ऐसी खबर निकलकर सामने आ रही है जिसके विषय में जानकर बरबस ही जिले का हर व्यक्ति आदिवासी ग्रमीणों की प्रशंसा करते नही थक रहा है।
जानकारी के अनुसार रायगढ़ जिले के लैलूँगा तहसील अंतर्गत वन ग्राम मुकडेगा के रहने वाले आदिवासी ग्रामीण प्रकृति से तालमेल बिठाने की अपनी पारंपरिक शैली का पालन करते हुए नवजात हाथी शावक का जन्मोत्सव मनाए हैं।यहां वनग्राम मुकडेगा में बीते दिनों पूरे विधि-विधान से सैकड़ों ग्रामिणों और वन विभाग के कर्मचारियाँ की उपस्थिति में हाथी के

नवजात शावक का जन्मोत्सव(छठी)का आयोजन किया गया।

यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि ग्राम मुकडेगा के अलावा उसके आसपास के आधा दर्जन गांवों जिनमें सोनाजोरी,करवाजोर,मुहड़ापानी और बेसकीमुड़ा में बीते एक महीने से करीब 40 की संख्या में जंगली हाथियों का एक दल सक्रिय रहा है। हाथियों की सक्रियता से ग्रामीणों का काफी नुकसान भी उठाना पड़ा है। इस हाथी दल ने आधा दर्जन वन ग्रामों में करीब 40 से अधिक घरों में न केवल तोड़फोड़ की है,बल्कि खेतों में फसलों को भी काफी नुकसान पहुचाया है। इसके बावजूद इन गांवों के रहने वाले आदिवासी ग्रामीणों को जब इस बात की जानकारी मिली कि इस हाथी दल की एक सदस्य वयस्क हथिनी ने एक स्वस्थ शावक को जन्म दिया है। तो गांवों के बुजुर्गों की सलाह पर अपनी परम्परा के अनुसार घने जंगल मे जहाँ शावक का जन्म हुआ था,वही बड़ी संख्या में ग्रामीण पूरी तैयारी के साथ उपस्थिति हुए। दिन भर चले इस कार्यक्रम में यहां उपस्थित होने वाले लोगों में गांव के धोबी,नाई,बैगा पुजारी के अलावा राउत समाज के हाथी गोत्र के व्यक्ति और पण्डित भी शामिल हुए। वहीं ग्रामीणों के विशेष निमंत्रण पर वन विभाग के कर्मचारी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। यहां सभी ने मिलकर पूरे उत्साह से शावक का जन्मोत्सव मनाया। इनके द्वार पहले आदिवासी परम्परा के अनुसार पूरे विधि-विधान से प्रकृति पूजा की गई फिर वन भोज का आयोजन किया गया। ग्रामीणों का मानना है कि जंगल में वन ग्राम के नजदीक अगर किसी हथिनी के द्वारा शावक को जन्म दिया जाता है तो उससे आसपास के गांवों में समृद्धि आती है। चुकि आदिवासी ग्रामीण प्रकृति प्रेमी और प्राचीन परम्पराओं का पालन करने वाले होते है अतः सबने मिलकर शावक का जन्मोत्सव मनाने का निर्णय लिया। वही इस जन्मोत्सव की खबर छनकर जब जिला मुख्यालय रायगढ़ तक पहुंची तो यहाँ के पर्यावरण प्रेमियों/विदों ने न केवल आयोजक मंडल की प्रशंसा की बल्कि शहर वासियों को उनसे प्रकृति संरक्षण का पाठ सीखने की सलाह दी।

बाईटह्रदय राम दाऊ आयोजक
बाईटराजेश त्रिपाठी पर्यावरण विद

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