आस्थाछत्तीसगढ़

पार्क एवेन्यू में अनवरत बह रही श्रीमद्भागवत रस की धारा….सुखद और सफल जीवन के लिए जीवनकाल में 5 सक्तियों का होना अनिवार्य-पंडित पुनीत कृष्ण

रायगढ़-जिले की लोकप्रिय आवासीय कालोनी पार्क एवेन्यू के श्रीराधा कृष्ण मंदिर में कार्तिक मास के पावन अवसर पर श्रीमद भागवत कथा का श्रवण लोगो द्वारा निरन्तर किया जा रहा है।आज कथा के दूसरे दिन आचार्य पुनीत कृष्ण ने सफल एवं सुखमय जीवन के मूल रहस्यों से अवगत कराया।
आचार्य जी से मधुरमुख वाणी से सभी श्रोताओ को बताया कि 5 चीजो का हमारे मानव जीवन मे होना अति आवश्यक है,ये 5 चीजें शक्ति के रूप में कार्य करती है,जिसको धारण कर हम जीवन को सुखमय और सरल करते हुए अंत मे भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते है।अपने उपदेश में उन चीजों का उल्लेख करते हुए आचार्य कहते है कि उसमें प्रथम चीज या शक्ति है,संत हमारे जीवन मे संत के रूप में एक गुरु होना अनिवार्य है।गुरु विषम परिस्थितियों में हमारा मार्गदर्शन करते है।दूसरी शक्ति है मंत्र जिसे हम गुरु के रूप में स्वीकार करे उनसे प्रदन्त मंत्र का जीवन पर्यंत जाप कर हम ईस्वर के निकट आते है।तीसरी शक्ति है कंत अथवा इष्ट हमे हमारे जीवन मे एक इष्ट बनाना अनिवार्य है।इसी इष्ट की हमको जीवन भर पूजा करनी चाहिए,इष्ट के रूप में हम माता पिता, गुरु,भाई,ठाकुर जी किसी को भी चुन सकते है।चौथे शक्ति पर ज्ञान प्रकाश डालते हुए गुरुजी ने कहा कि चौथी शक्ति है ग्रंथ सुखी जीवन की आधार ग्रंथो के अध्ययन पर निर्भर है।सरल जीवन के निर्वाहन हेतु ग्रंथो का अध्ययन अनिवार्य है।गुरुजी ने अपने उपदेश में 5 वी शक्ति पंथ को बताया,उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि सुखी जीवन निर्वहन हेतु धर्म पंथ का चयन अनिवार्य है।यज्ञ,अनुश्ठान,तीर्थयात्रा,दानकर्मो जैसे पंथ का चयन कर हम अपने जीवन को सफल सरल और सुखी कर सकते है।प्रत्येक व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार पथ का चयन करना चाहिए।आचार्य पुनीत कृष्ण जी महाराज ने प्रवचन के माध्यम से कहा कि हम मानवों और बाकी के पशु योनियों में ज्यादा फर्क नही है।आहार,निंद्रा,भय,भूख और संतान उत्पत्ति ये सभी गुण मानव पशु दोनों में सामान रूप से विद्यमान है,परन्तु ज्ञान एक ऐसा गुण है जो परमात्मा ने सिर्फ हम मानवों को ही प्रदान किया है।हम सभी उस ज्ञान से जीवन मे इन 5 शक्तियों को समाहित कर अपने अपने जीवन को सार्थक,सरल,सहज,सुखी और आनंदमय कर सकते है।यही मानव जीवन का सर्वश्रेष्ठ कृत्य फल है,जिसने मानव जीवन पाकर ये सभी सद्कर्म नही किया,उनका जीवन पशु के सामान है।पूरे भागवत कथा के दौरान सभी श्रोता मंत्रमुग्ध होकर अमृतवाणी का रसपान करते नजर आए और कृष्ण की भक्ति में रमकर मधुर संगीत के मध्य झूमते रहे.

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