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कई जरूरी दवाएं जीएसटी मुक्त, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दी जानकारी

Aaa/नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर काउंसिल की आज अहम बैठक हुई. बैठक में पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी में शामिल होने पर विचार मे की गई चर्चा दिल्ली के डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री मनीष सिसौदिया ने बैठक में हुए फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में रखने पर कोई आमराय नहीं बन पाई. इसी तरह राज्यों को जून 2022 के बाद भी मुआवजा देने पर आज फैसला नहीं हो पाया, लेकिन इसके लिए एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स द्वारा विचार किया जाएगा. यह समिति दो महीने के भीतर अपनी सिफारिश देगी. अच्छी खबर यह है कि कोरोना की दवा को 31 दिसंबर 2021 तक जीएसटी से छूट मिलती रहेगी. इसमें कुछ और दवाओं को शामिल किया गया. कई महंगी लाइफ सेविंग दवाओं को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है. इनमें दो काफी महंगी दवाएं हैं. बायोडीजल पर जीएसटी घटाकर 12 से 5 फीसदी कर दिया गया है. सभी तरह के पेन पर अब जीएसटी 18 फीसदी रहेगी.

GST council की बैठक आज यानी शुक्रवार को लखनऊ में हुई. बैठक में ऐसे कई अहम निर्णय हुए जिनका असर आम आदमी की जेब पर पड़ने वाला है. कई अहम प्रस्तावों पर विचार हुआ. यह मार्च 2020 के बाद (जब कोरोना का कहर शुरू हुआ था) सदस्यों की भौतिक रूप से मौजूदगी वाली पहली बैठक है. इसके पहले कई बैठकें ऑनलाइन आयोजित की गईं. इस साल जून में केरल हाई कोर्ट ने जीएसटी काउंसिल को यह आदेश दिया था कि वह पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार करे. काउंसिल को इसके लिए 6 माह का समय दिया गया. दिल्ली में पेट्रोल के 101 रुपये कीमत में लोग करीब 60 रुपये टैक्स के रूप में ही दे रहे हैं. लेकिन इस प्रस्ताव का राज्य ही विरोध कर रहे हैं क्योंकि उनके राजस्व को भी इससे भारी नुकसान पहुंचने वाला है. कोरोना संकट में राजस्व को पहले ही चोट है, इसी वजह से कर्नाटक, केरल और महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही इस प्रस्ताव का विरोध किया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में सुबह 11 बजे शुरू होने वाली इस बैठक में 28 राज्यों और 3 केंद्र शासित राज्यों के प्रतिनिध‍ि शामिल हुए. आज की बैठक में असल में 50 से ज्यादा वस्तुओं एवं सेवाओं पर दरों में बदलाव पर विचार हुआ. बैठक में विचार के लिए एक प्रमुख मसला यह भी था कि जीएसटी लागू होने से राज्यों को हो रहे नुकसान की पूरी तरह से भरपाई कैसे हो. असल में 1 जुलाई 2017 को लागू जीएसटी एक्ट में कहा गया था कि जीएसटी लागू होने के बाद यदि राज्यों के जीएसटी में 14 फीसदी से कम ग्रोथ होती है तो उन्हें अगले पांच साल तक इस नुकसान की भरपाई ऑटोमोबिल और टोबैको जैसे कई उत्पादों पर विशेष सेस लगाकर करने की इजाजत होगी.

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