
CG:नीलामी के बाद पर्यावरणीय अनुमति को लेकर पेंच फंस गया….
रायगढ़।राज्य सरकार ने रेत घाटों का संचालन का पूरा फार्मूला
ही बदल दिया था। पंचायतों से आवंटन छीनकर निजी हाथों में दिया गया है।लेकिन नीलामी में
बाद पर्यावरणीय अनुमति को लेकर पेंच फंस गया है।अभी भी बिना अनुमति मिले कई रेत घाटों से रेत निकाली जा रही है। 32 रेत खदानों
की नीलामी हो चुकी है जिसमें से केवल 12 को ही अनुमति मिल सकी है। रेत पर पूरा निर्माण क्षेत्र निर्भर होता है। सड़क से लेकर भवन निर्माण तक हर काम
रेत के बिना नहीं हो सकता। इसलिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा रेत घाटों का संचालन हो।
इससे रेत की कीमतों पर भी लगाम लगी रहती है। फिलहाल प्रदेश में रेत खदानों का आवंटन नीलामी के जरिए किया जा रहा है। जिले में
करीब 32 खदानों की नीलामी हो चुकी है, लेकिन केवल 12 को ही संचालन की अनुमति मिली है। पर्यावरणीय स्वीकृति के बिना रेत घाटों से उत्पादन नहीं हो सकता। जिले में 20 खदानों को पर्यावरणीय अनुमति नहीं मिली है लेकिन
अभी भी इनसे रेत निकाली जा रही है। दरअसल इनमें से कुछ तो रेत माफिया के जाल में फंसी हुई हैं। इसय वजह से यह 20 खदानें बिना अनुमति के संचालित हो रही हैं। कुछ रेत घाट रायगढ़ जिले से बाहर के ठेकेदारों को मिले हैं,लेकिन उन्होंने संचालन खुद करने के बजाय ठेके पर उन्हीं रेत माफिया को काम दे दिया है।जो पहले भी इसे चला रहे थे। आगे पढ़े
💥💥नीलामी के बाद शासन को
गया है प्रस्ताव, 32 में सिर्फ 12
ही वैध रूप से संचालित💥💥
दूसरी खदानों की पर्ची से परिवहन रेत घाटों के परिवहन में बड़ी गड़बड़ी की जा रही है। अवैध रेत खनन को वैध बनाने के लिए अनुमति प्राप्त खदानों के लिए जारी टीपी उपयोग में लाई जा रही है।मतलब रेत तो अवैध तरीके से
निकाली जा रही है लेकिन वाहनों में पर्ची दूसरे रेत घाटों की है। वहीं कुछ रेत घाट निर्धारित रकबे या
तट से नहीं निकाले जा रहे हैं। किसी रेत खदान का रकबा 4 हेक्टेयर का है तो खनन उससे अलग दूर पर किया जा रहा है..!!





