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दिग्गी राजा मुसीबत में, होगी FIR?: शिशु मंदिर पर दिए बयान पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का DGP को पत्र…लिखा… जानिए क्या है पूरा मामला… पढ़ें न्यूज़ मिर्ची-24

दिग्गी राजा मुसीबत में, होगी FIR?: शिशु मंदिर पर दिए बयान पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का DGP को पत्र…लिखा ”दिग्गी का बयान धारा 153A और B,504,505, किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 3 आकर्षित करता है….FIR दर्ज कर जाँच रिपोर्ट भेजे”..
राजनीति


(Aaa)भोपाल।अपने बोलों से कांग्रेस के लिए कई बार असुविधाजनक स्थिति पैदा करने वाले दिग्गी राजा एक बार फिर सुर्ख़ियों में है।एक बार कांग्रेस पेशोपेश में है कि बयान का समर्थन कैसे करे या कि खंडन कैसे करे, पर इस पेशोपेश के बीच दिग्गी राजा उसी बयान की वजह से नई मुसीबत में फँस सकते हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से पत्र डीजीपी को भेजा गया है जिसमें धाराओं का ज़िक्र करते हुए FIR किए जाने और सात दिन के भीतर जाँच रिपोर्ट भेजे जाने की संस्तुति की गई है। दरअसल बीते शनिवार को राजधानी के नीलम पार्क में आयोजित एक विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने सरस्वती शिशु मंदिर को लेकर टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा
”सरस्वती शिशु मंदिर बचपन से लोगों के दिल और दिमाग़ में दूसरे धर्मों के खिलाफ नफ़रत का बीज बोते हैं, वहीं नफ़रत का बीज धीरे धीरे आगे बढ़कर देश में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ता है, सांप्रदायिक कटुता पैदा करता है, धार्मिक उन्माद फैलाता है और देश में दंगे फ़साद होते हैं” इस बयान के आते ही भाजपा हमलावर हो गई। भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया करते हुए टिप्पणी की जिसमें कहा गया कि, शिशु मंदिर मदरसा नहीं है, जहां आतंकवाद को पैदा किया जाता है और मानवता को कुचला जाता है।
दिग्विजय सिंह के इस बयान के साथ ही सोशल मीडिया पर ट्रेंड चल रहा है “सर, मैं शिशु मंदिर का छात्र हूँ”। इधर इस बयान पर कांग्रेस की स्थिति बिल्कुल वैसी ही हो गई है जो इसके पहले दिग्विजय सिंह के कई बयानों के बाद हुई है। कांग्रेस “ना उगलत बने ना निगलत बने” की हालत में है।पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बयान पर सियासत की चिल्लमचोट के बीच राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पत्र ने डीजीपी के चैंबर में दस्तक दी है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मीडिया से कहा ”

सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों ने हमें शिकायतें भेजी हैं। हमने इसपर संज्ञान लिया”राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पत्र में उल्लेख है
”प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि ये आईपीसी की धारा 153 A और B, 504, 505 और इसके अलावा किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 3 के सिद्धांतों का उल्लंघन है। इसलिए इसपर मामला दर्ज़ करके जांच करें और 7 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट भेजें”

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