शब्दांजलि
कर्मवीर दीनदयाल रतेरिया:
सफरनामा एक अनथके अनंतगामी यात्री का !
प्रो. अम्बिका वर्मा
शब्दांजलि
कर्मवीर दीनदयाल रतेरिया:
सफरनामा एक अनथके अनंतगामी यात्री का !
प्रो. अम्बिका वर्मा
”देवलोक गमन कर गये कीर्तिशेष दीनदयाल रतेरिया, जीवन की प्रत्येक राह पर, हर मोड़ पर निरंतर चलते रहे। उनके व्यक्तित्व की सरलता, उनकी सबसे खास आईडेन्टिटी थी। चश्मे के भीतर से झाँकती हमेशा मुस्कान भरी उनकी आँखे, पहली मुलाकात में ही अपनेपन का अहसास करातीं। व्यवसाय और सामाजिक सरोकारों के विशिष्ट समन्वय का साक्षी रहा उनका पूरा जीवन। अपने विविध आयामी व्यक्तित्व के कारण ‘परिवारÓ नामक सर्वोच्च गरिमामयी संस्था तथा विविध सामाजिक-धार्मिक सरोकारों, शिक्षा को प्रधानता सहित विभिन्न धार्मिक-सांस्कृतिक संस्थाओं एवं आयोजनों से स्व. दीनदयाल रतेरिया पूरे मन प्राण से जुटे रहे-जुड़े रहे। उनके दोस्तो की फेहरिस्त बताती है कि दोस्तों की जीवन में कितनी और कैसी अहमियत होती है।

रायगढ़ की रतेरिया फेंमिली अपनी बहुगामी शाखा-नदियों के विस्तार से एक विशाल एवं चर्चित नदी के रुप में विख्यात है। रतेरिया परिवार के पुरखे स्व. रामदयाल रतेरिया के पड़पोते व स्व. कनीराम के पौत्र और स्व. गिरधारी लाल एवं माता श्रीमती टीडो देवी के पुत्र दीनदयाल रतेरिया नटवर स्कूल और शासकीय किरोडीमल डिग्री कॉलेज में बॉयोलोजी के छात्र रहे। इन्हीं संस्थाओं से उनकी सोच को विस्तार मिला। वाककला के वे धनी थे। विद्यार्थी जीवनकाल में वे कई भाषण प्रतियोगिताओं में विजयी रहे। जीवन के अंतिम समय तक अपने प्रखर एवं प्रभावी भाषणों के लिए विख्यात थे। भाषण करने में उन्हे अपूर्व आंनद की प्राप्ति होती जो उनके जीवन के अंतिम समय तक जारी रहा। फिर अपने बिखर गये पारिवारिक व्यवसाय को पूरी दक्षता एवं कौशल से एक बड़ा और विस्तृत प्लेटफ ार्म प्रदान किया। स्व. दीनदयाल ने सुभाष चौक व्यापारी संघ का गठन किया था एवं उनके संरक्षक रहे। उन दिनों पूरे भारत में उनकी दूसरे नंबर पर सबसे बड़ी सायकिल दुकान हुआ करती थी। वे सेल्फमेड बिजनेस पर्सन थे।

दिल से जुड़ाव: सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक सरोकारों से…!
बिजनेस से इतर स्व. दीनदयाल रतेरिया शिक्षा, पर्यावरण, जनआंदोलन तथा धार्मिक प्रसंगो जैसे-विभिन्न सरोकारों से जुड़े थे। श्री दुर्गा कन्या उ.मा. शाला के अध्यक्ष, सर्वदलीय नागरिक मंच अध्यक्ष एवं रेल्वे बोर्ड के डी.आर.यू.सी.सी के मेम्बर और चक्रधर गौशाला समिति, अनाथालय (बाल सदन) के उपाध्यक्ष, उपभोक्ता फ ोरम के सदस्य सहित चेम्बर ऑफ कामर्स के सदस्य रहे। नरेन्द्र के अनुसार गीतांजलि एक्सप्रेस के रायगढ़ ठहराव के आंदोलन में बाबूजी प्रमुख सूत्रधार थे। जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा, बेटी-बचाओ-बेटी पढ़ाओ जिला शांति समिति के सदस्य एवं चक्रधर समारोह के आयोजन-प्रसंग वे सदस्य रहे। अक्सर गोशाला जाते और गो सेवा करते। धार्मिक आयोजनों में उनका मन बेहद रमता था। लेकिन वे ढोंग, पाखण्ड और अंधविश्वासों के प्रबल विरोधी थे। जननायक रामकुमार अग्रवाल के पुत्र जयप्रकाश भाई बताते हैं कि केलो बंाध निर्माण आंदोलन में उनकी सतत भागीदारी रही। रेल सुविधा आंदोलन में भी वे बहुत सक्रिय रहे।
परिवार है विश्व की सबसे महत्वपूर्ण संस्था…!
सरल प्रकृति के स्व. दीनदयाल रतेरिया की सोच बहुत गहरी और विरल थी। वे युवा पीढ़ी और उनकी शिक्षा के संदर्भ में सजग और एक्टिव रहते। बेटियों पर भी यहीं फोकस रहा। जिओ इंजीनियरिंग में पी.एच.डी. और आई.आई.टी. टॉपर उनकी बेटी गुंजन यू.एस.ए. में है। हर्षी भी इसी तरह हमकदम है। अपने दादा जी के अवदान को याद करते और इमोशनल होते उनके पौत्र राघव बताते हैं कि दादा जी सुबह 4 बजे उठकर हमें पढ़ने के लिए तत्पर करते। पढ़ाई के प्रति उनका कठोर अनुशासन रहा। राघव के अनुसार दादा जी का यह अशेष स्नेह मेरे जीवन का कोर-मोटिवेशन रहा है। दादा जी मेरे सीनियर फ्रेंड फिलास्फ र और गाइड रहे हैं।
तरल-सरल मिलनसरिता…!
दीनदयाल जी अपने निक नेम ‘दीनू रतेरियाÓ से विख्यात थे। स्कूल कालेज के दिनों से लेकर सामाजिक जीवन में वे सबसे बहुत स्नेह और अतरंग भाव से मिलते। उनके मित्रों की एक लंबी फेहरिस्त है। अपने हँसमुख स्वभाव और अपने दोस्तों की खरे सोने जैसी दोस्ती की वजह से वे चर्चित व्यक्ति थे। उनके दोस्तों में प्रख्यात दंत चिकित्सक सर्वश्री डॉ. दुलीचंद अग्रवाल, विधायक स्व. रोशन अग्रवाल, डॉ. प्रभात त्रिपाठी, स्व. गिरजा पाण्डेय, मदन सिंघानिया, सरदार अमोलक सिंह टुटेजा, डॉ. रामकुमार अग्रवाल (अमेरिका), डॉ. राजू अग्रवाल, रवि मिश्रा, प्रो. जवाहर चौबे व अम्बिका सांवरिया शामिल रहे हैं। दूसरी तरफ उनके सबसे जूनियर मित्र थे पौत्र राघव रतेरिया! अपने जीवन के प्रेरक व्यक्तित्वों में दीनदयाल जी हमेशा पिता स्व. गिरधारी लाल रतेरिया एवं जननायक रामकुमार अग्रवाल का कृतज्ञ स्मरण करते रहे।
धड़कन धरोहर की …!
स्व. दीनदयाल रतेरिया की यश की नदी उनके समर्पित पुत्र नरेन्द्र और पौत्र राघव के तटबंधों से होते हुए निरंतर प्रवहमान है। रायगढ़ के विभिन्न समाजों के सुख-दुख के प्रसंगों में अपने पिता की तरह पुत्र नरेन्द्र की सहभागिता होती है। पिता के कर्ममंत्र को उनके योग्य पुत्र नरेन्द्र ने पूरी आस्तिकता के साथ ग्रहण किया है। रामदयाल दीनदयाल नाम की व्यावसायिक संस्था को तमाम इलेक्ट्रॉनिक आयटम्स का एक कामयाब प्लेटफार्म स्थापित करने में नरेन्द्र और पौत्र राघव का विशिष्ट योगदान है। शिक्षा केा सर्वोच्च प्रधानता देने वाले दिवंगत पिता दीनदयाल रतेरिया को उनकी यशस्विनी बेटियां इंजीनियरिंग में डाक्टरेट डॉ. गुंजन अमेरिका और यहां हर्षी ने उनकी शैक्षणिक सपनों को सच कर दिखाया है। सृष्टि का अटल सच है कि संसार की विभिन्न डालियों में जो प्राण-पुष्प खिलते हैं एक दिन झर जाना उनकी नियति है। स्व. दीनदयाल रतेरिया उस अनंत की ओर चले गये हैं जहां से कोई लौट कर नहीं आता। लेकिन वे अपने घने नेह-आशीष से रतेरिया परिवार में सदा सदा धड़कते रहेंगे। पुण्यात्मा को मेरा सादर नमन!




