टीआरएन एनर्जी का पर्यावरण विभाग को कोई प्रदूषण न दिखे लेकिन एनजीटी ने इसे देख लिया….आइए जानते हैं…..जिले के छह उद्योगों पर ओवरसाइट कमेटी ने तगड़ा जुर्माना किया….पढ़ें न्यूज़ मिर्ची-24



रायगढ़।भले ही पर्यावरण विभाग को जिले में कोई प्रदूषण न दिखे लेकिन एनजीटी ने इसे देख लिया। जिले के छह उद्योगों पर ओवरसाइट कमेटी ने तगड़ा जुर्माना किया है। इसमें से पहला नाम टीआरएन एनर्जी का है जिसने पर्यावरणीय नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया।कमेटी के निरीक्षण में पाया गया कि टीआरएन ने पांच गांवों में करीब 16 लाख एमटी फ्लाई एश डंप किया है।स्टील और पावर कंपनियों को संयंत्र स्थापित करने के लिए कड़े पर्यावरणीय शर्तों के तहत अनुमति दी जाती है। हर नियम को पालन किया जाना अनिवार्य होता है। लेकिन उद्योग इन नियमों को भूल जाते हैं। ऐसा ही कुछ टीआरएन एनर्जी भेंगारी ने भी किया।प्लांट लगाते समय तो सभी नियमों का पालन करने की समति जताई गई लेकिन बाद में इलाके की आबोहवा को दूषित कर दिया। शिवपाल भगत और अन्य के मामले में एनजीटी ने ज्वाइंट कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने टीआरएन एनर्जी द्वारा फ्लाई एश की अवैध डंपिंग स्थलों का निरीक्षण भी किया था।रिपोर्ट से पता चला कि टीआरएन एनर्जी से वर्ष 2016 और मार्च 2021 के बीच 28,79,126 एमटी लाई एश उत्सर्जित हुआ। इसमें से 58 प्रश
मतलब 16.65 लाख एमटी एश को कंपनी ने छोटे गुमड़ा,बड़े गुमड़ा, नवापारा, टेंडा और बांसमुड़ा में
डंप किया है। लो लाइंग एरिया में फ्लाई एश को डंप किया गया है। टीआरएन के पावर प्लांट से
निकले लाई एश को 17.378 हे. भूमि पर डंप किया गया है। कंपनी ने एश के डिस्पोजल में पर्यावरणीय अनुमति का उल्लंघन किया। एश डाइक के बाहर अवैध डंपिंग साइट बना ली गई।नवापारा टेंडा में तो दस फुट ऊंचाई हो चुकी है… आसपास के खेतों में पहुंचा फ्लाईएश कमेटी ने निरीक्षण में पाया कि अवैध डंपिंग साइट से फ्लाई एश बहकर पास के खेतों में पहुंच चुका है। कई जगहों पा मृदा क्षरण भी फ्लाई एश के कारण हुआ है।कई एकड़ जमीनों की उत्पादकता प्रभावित हुई है।कुछ जमीनें तो अब पूरी तरह बंजर हो चुकी हैं। हाइवे किनारे भी भारी मात्रा में टीआरएन ने एश डंप किया है।बहुत बड़े भूभाग पर एश की वजह से नुकसान हुआ है। कंपनी प्रतिनिधि ने कमेटी को बताया था कि ग्रापं से एनओसी लेने के बाद एश डाला गया लेकिन पर्यावरण संरक्षण मंडल से कोई अनुमति नहीं ली गई।सीईसीबी ने दिया है क्लोजर नोटिस टीआरएन को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है।टीआरएन को प्रदूषण फैलाने और नियमों के उल्लंघन के कारण छग पर्यावरण संरक्षण मंडल ने क्लोजर नोटिस दिया था।टीआरएन ने इसका जवाब दिया है लेकिन अभी इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।किसी भी उद्योग के प्रदूषण फैलाने पर कार्रवाई नहीं करना सीईसीबी की सबसे बड़ी गलती है।नोटिस देने के बाद महीनों तक मामले को लटकाया जाता है।कमेटी ने टीआरएन पर 1.81 करोड़ रुपए पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाने की अनुशंसा की है..!!




